हिन्दी साहित्य में मुस्लिम कवियों का योगदान

डा. (श्रीमती) वनिता बाजपेयी

साहित्यिक क्षेत्र में मुसलमानों ने हिन्दी की अमूल्य सेवा की है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति से वे अत्यधिक प्रभावित हुए। धार्मिक क्षेत्र में वे एक्शेवरवाद को मानते थे। कृष्णभक्ति काव्य से वे सर्वाधिक प्रभावित रहे। पुरुषों ने ही नहीं, मुस्लिम स्त्रियों ने भी कृष्ण की पावन लीलाओं का वर्णन किया। इन मुसलमान भक्त कवियों की प्रशंसा में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र कह उठे थे-

मुस्लिम राजनीति की दिशा

जामा मस्जिद के इमाम सैयद अहमद बुखारी द्वारा आयोजित दस्तारबंदी समारोह को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गैर-कानूनी घोषित किए जाने तथा शाही इमाम बुखारी पर उचित कार्यवाही होने की संभावना ने कई महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े कर दिए हैं, जिनके आलोक में भारतीय अल्पसंख्यक राजनीति पर सार्थक प्रभाव पड़ सकता है।

दंगे और इंसाफ की लाचारी

अंगरेज़ भारत को कुटिल प्रशासनिक व्यवस्थाएं दे गया है. उनमें अदालती न्यायदान पद्धति का मिथक भी शामिल है. शारीरिक क्षतियों की सूची में सबसे जघन्य और घृणित कृत्य हत्या है. सांघातिक चोट, बलात्कार, अपहरण और सायास धमकियां उसी अपराध-कुटुंब की हिंसाएं हैं. ‘कानून का राज्य’ का जुमला दुनिया के लोकतंत्रों में जनता की जुबान पर चस्पा कर दिया गया है. उसके नैतिक अर्थ से कानून का कोई लेना देना नहीं होता. न्याय होता हुआ दीखता तो है, लेकिन होता नहीं है. गरीब, अशिक्षित और दुर्घटनावश बने अपराधियों को कानून और न्यायालय डींगें मारते सजाएं भी देते हैं. अपवादों को छोड़कर सजायाफ्ता और उसके सामाजिक स्तर में उलट अनुपात का रिश्ता होता है. अमीर, असरदार, नौकरशाह, राजनेता, उद्योगपति, सुपारी वाले सीरियल किलर, पुलिस बल वगैरह अभियुक्त होने पर भी समाज में उन्मुक्त होते हैं. मामलों में बरी हो जाना पहले से तय लगता है. 

एक मुसलमान संस्कृत का विद्वान

'देश की सभी शास्त्रीय भाषाओं, विशेषकर संस्कृत का संरक्षण सरकार का काम है और सरकार को इसके लिए मजबूर कर देना हमारा' यह कहना है पंडित गुलाम दस्तगीर बिराजदार का। संस्कृत के प्रकांड विद्वान, एक प्राचीन मुस्लिम दरगाह के मुतवल्ली गुलाम साहब शान से खुद को 'संस्कृत का गुलाम' कहा करते हैं। इस दुर्लभ व्यक्तित्व से परिचय कराती रिपोर्ट।

क्या मुसलमान ऐसे होते हैं?

मुस्लिमों को समझने की ईमानदार कोशिश

मौजूदा समय में पूरी दुनिया में मुस्लिम समुदाय को शक और संदेह की नजर से देखा जाता है। यही वजह है कि जब शाहरुख खान अपनी एक फिल्म में संवाद बोलते हैं, माय नेम इज खान, एंड आई एम नॉट ए टेररिस्ट। तो दुनिया भर के मुसलमान उस फिल्म को देखने टूट पड़ते हैं। फिल्म की विश्वव्यापी कामयाबी बताती है कि दुनिया का हर मुसलमान भले ही वह किसी देश में क्यों न रह रहा हो, कहना चाहता है- आई एम नॉट ए टेररिस्ट। 

मुसलमान सामाजिक परम्पराओं के नाम पर पिछडे: उपराष्ट्रपति

आजमगढ: उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने आज कहा कि सामाजिक परम्पराओं के नाम पर तरक्की की तरफ नही बढने की वजह से मुल्क के मुसलमान सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक स्तर के मामले में अपने साथी नागरिकों के मुकाबले काफी पिछडे नजर आते हैं.

देशभक्ति का ‘सर्टिफिकेट’ और मुसलमान!

जब से नई सरकार आई है मुसलमानों को लेकर एक दो बयान काफी गौर करने वाले सामने आए हैं। जिसमें पहला बयान हमारे पीएम नरेंद्र मोदी का है जिसमें उन्होंने भारतीय मुसलमानों को सच्चा देशभक्त बताया था और कहा था कि आतंकी संगठन उन्हें बरगला नहीं सकते।