जब से नई सरकार आई है मुसलमानों को लेकर एक दो बयान काफी गौर करने वाले सामने आए हैं। जिसमें पहला बयान हमारे पीएम नरेंद्र मोदी का है जिसमें उन्होंने भारतीय मुसलमानों को सच्चा देशभक्त बताया था और कहा था कि आतंकी संगठन उन्हें बरगला नहीं सकते।
ये बयान मोदी के अमेरिका दौरे से पहले दिया गया था। उसके कुछ दिन बाद अब देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने लगभग मोदी की बात को ही दोहराया है। गौर करने वाली बात यह है कि ये दोनों बयान कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस में भारतीय लड़कों के शामिल होने की पृष्ठभूमि में कहे गए हैं।
ये बयान मोदी के अमेरिका दौरे से पहले दिया गया था। उसके कुछ दिन बाद अब देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक बयान दिया है जिसमें उन्होंने लगभग मोदी की बात को ही दोहराया है। गौर करने वाली बात यह है कि ये दोनों बयान कुख्यात आतंकी संगठन आईएसआईएस में भारतीय लड़कों के शामिल होने की पृष्ठभूमि में कहे गए हैं।
सवाल ये उठता है कि भारतीय सरकार के इतने शीर्ष स्तर पर ये बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी, क्यों सरकार जल्दी-जल्दी भारतीय मुसलमानों को देशभक्त होने का 'सर्टिफिकेट' दे रही है। इसके पीछे दरअसल वो चिंता है जो इशारा कर रही है कि अल्पसंख्यकों में बुहत कम स्तर पर ही सही लेकिन इन आतंकी संगठनों के प्रति झुकाव पैदा हो रहा है। ये सिलसिला गुजरात दंगों के बाद तेजी से बढ़ता गया। और पहली बार 2007 में पूरे देश में ताबड़तोड़ बम धमाके करने वाले इंडियन मुजाहिदीन के अस्तित्व में आने की बात सामने आई।
देश में पूर्व में भी कई आतंकी हमले होते रहे हैं लेकिन वो इतने परेशान करने वाले नहीं थे जितने की इंडियन मुजाहिदीन के धमाके क्योंकि इन धमाकों को करने वाले कुछ भ्रमित भारतीय युवा ही थे। भारतीय सरकार ने तेजी से कार्रवाई कर इसकी कमर तोड़ दी और उसके तकरीबन सभी मॉडयूल को ध्वस्त भी कर दिया तो लगा कि देशी आतंकवाद की एक छोटी सी लहर थी जो खत्म होने को है लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आईएसआईएस की शक्ल में कुछ भारतीयों को भटकाव का एक नया ठिकाना मिल गया। चौंकाने वाली बात ये है कि कई भारतीय युवा अल हिंद समूह के नाम से इस संगठन से जुड़ चुके हैं। कुछ को यहां से बरगला कर वहां ले जाया गया है जबकि कुछ भारतीय जो खाड़ी देशों में हैं उन्हें बरगला कर वहां ले जाया गया है। अब इस तथ्य से मुंह मोड़ा नहीं जा सकता है कि बहुत कम स्तर पर ही सही लेकिन देश विरोधी ताकतें भारतीय अल्पसंख्यकों में विद्रोह का जहर भरने में कामयाब तो हो ही पा रही हैं।
अब सवाल ये हैं कि ऐसा हो क्यों रहा है और इसे कैसे रोका जा सकता है। हम पहले बात करते हैं कि ऐसा क्यों हो रहा है। इस सवाल का जवाब हमें देश में तेजी से फैल रहे सांप्रदायिकतावाद में ढूंढना होगा। देश का अल्पसंख्यक खुद को लंबे समय से मुख्यधारा से कटा हुआ पाता है। सांप्रदायिकता के बढ़ने से इसमें आग में घी का काम किया है। ये सही है कि नया भारत विकास की दौड़ में बहुत तेजी से दौड़ रहा है लेकिन ये भी उतना ही सही है कि इसमें अल्पसंख्यक खुद को हिस्सा नहीं मान पा रहे हैं। हर तरफ आतंकी होने का शक, मीडिया में बार-बार लगातार नकारात्मक खबरों की रेल, विकास में काफी पीछे होने से उसके अंदर जबरदस्त गुस्से को भरा है। यही वो जमीन है जिसपर कुछ आतंकी संगठन विनाश की खेती करना चाहते हैं और भारत को गृह युद्ध की तरफ धकेलना चाहते हैं। भारतीय मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश तो दशकों से हो रही है लेकिन देशविरोधी ताकतें ऐसा कभी कर नहीं पाईं। इसी का यकीन मोदी और राजनाथ के वक्तव्यों में दिखाई देता है। लेकिन मीडिया में हर रोज मुसलमानों की नकारात्मक इमेज बनानी की अनजानी कोशिशों, विकास में पीछे रह जाने, हर वक्त आतंकी होने और उसके देशभक्त न होने के तानों का क्या, इन सवालों का जवाब हमारी सरकार, मीडिया और समाज को ढूंढने की कोशिश करनी होगी। असहमति को अलगाव तक पहुंचने देना खतरनाक है और बीते कुछ समय से ये प्रक्रिया बड़े खतरनाक ढंग से आगे बढ़ी है।
आप किसी आम मुसलमान से बात करिए, उसके पास शिकायतों का भंडार है। शिकायत सरकार से, राजनीतिक पार्टियों से, मीडिया से और अपने आप के पिछड़ेपन से। मुझे लगता है कि यह उचित समय है कि इन सवालों पर ध्यान दिया जाए। एक आम मुसलमान के मन में पनप रहे आक्रोश की वजह को तलाशकर उसे खत्म करने की सख्त जरूरत है वरना भटकाव की ये छोटी कोशिश दावानल का रूप ले सकती है। जो देश की एकता के लिए कतई सही नहीं है। मीडिया की कुछ सालों की कवरेज से ऐसा लगता है कि आम मुसलमान गैरभरोसेमंद, रूढ़िवादी और आतंक समर्थक है। पर क्या आम मुसलमान आतंक समर्थक है। जो ये कैंपेन चलाते हैं उन्हें ध्यान से देश के पीएम और गृहमंत्री के बयानों पर गौर करना चाहिए। या तो पीएम झूठ बोल रहे हैं या फिर देश में जाने अनजाने जो अप्रत्यक्ष एजेंडा चलाया गया मुसलमानों को बदनाम करने का उसे तुरंत बंद करने की जरूरत है। मुसलमानों के अंदर भरोसा पैदा करने की जरूरत है कि वो भी विकास की दौड़ में तेजी से आगे जाते इसी भारत का अंग है। कब तक उन्हें पाकिस्तानी बताकर उनकी देशभक्ती पर सवाल उठाया जाता रहेगा, ये गौर करने वाली बात होगी।
मेरा मानना है कि माइनोरिटी में पनपते आक्रोश को कम करने के लिए दोतरफा कोशिशों की जरूरत है। एक सरकार व राजनीतिक पार्टियों की तरफ से और दूसरी खुद अल्पसंख्यक समाज की ओर से। सरकार के रवैये से नहीं लगना चाहिए कि वो किसी एक समाज या धर्म की सरकार है और उन्हीं के हित की बात करेगी। पीएम के बयान से उनका मुसलमानों के प्रति एक नजरिया सामाने आया है जो सकारात्मक तस्वीर पेश करता है। वर्तमान सरकार को समाज के बीच भरोसा बढ़ाने की ऐसे कोशिशें बढ़ानी चाहिए। माइनोरिटी में वैसे भी बीजेपी को लेकर भारी पूर्वाग्रह है। दूसरी कोशिश खुद मुस्लिम समाज के अंदर से होनी चाहिए। हर समाज में हमें आगे बढ़ने के लिए कई अभियान देखने को मिलते हैं लेकिन मुस्लिम समाज में ऐसे कोशिशें कम हैं। अपने इमेज बदलने के लिए मुस्लिमों से सबसे ज्यादा शिक्षा पर जोर देने की जरूरत है। बच्चों की शिक्षा का अभियान तो कम से कम समाज की ओर से चलाया ही जा सकता है ताकि अधिक से अधिक बच्चे पढ़कर रोजगार पा सकें और इस बेमतलब के आक्रोश से बचें। इसे लेकर मुस्लिम समाज में जमीनी स्तर अब वास्तव में कुछ मजूबत कोशिश दिख रही हैं लेकिन वो अभी इतनी बड़ी और प्रभावी नहीं हैं। इन्हें विस्तार लेने में वक्त लगेगा।
1xbet korean review - Is 1xbet korean legit or a scam?
ReplyDeleteThe main advantage of 1xbet korean casino is the high odds of the bet, 1xbet 64 which is also true in the casino games. It is also a good place to get the